क्रिया ( Kriya Kise Kahate Hain ), हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो किसी कार्य, अवस्था या घटना का बोध कराती है। यह शब्दों का वह समूह है, जिसके माध्यम से हम अपनी सोच और भावनाओं को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम कहते हैं “मैं पढ़ता हूँ,” यहाँ “पढ़ता हूँ” क्रिया है, जो यह दर्शाती है कि कार्य वर्तमान में हो रहा है। क्रिया का सही उपयोग वाक्य के अर्थ को स्पष्ट और सटीक बनाता है। इसलिए, क्रिया के प्रकार, उनके भेद और उपयोग के सही तरीकों को समझना न केवल भाषा के अध्ययन में सहायक है, बल्कि संवाद को भी प्रभावी बनाता है। क्रिया की गहराई में जाने से हम न केवल व्याकरण को समझ पाते हैं, बल्कि अपने विचारों और भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त करने की क्षमता भी विकसित करते हैं।
यह वह क्रिया है जिसका सीधा संबंध किसी कर्म से होता है।
उदाहरण: “राम ने खाना खाया।” यहाँ “खाया” क्रिया है, जिसका कर्म “खाना” है।
यह वह क्रिया है जिसका कोई सीधा कर्म नहीं होता।
उदाहरण: “वह दौड़ रहा है।” यहाँ “दौड़ रहा है” क्रिया का कोई विशेष कर्म नहीं है।
क्रिया ( Kriya Kise Kahate Hain ) का काल बताता है कि कार्य कब हो रहा है। यह वर्तमान, भूत या भविष्य काल में विभाजित होती है।
इस प्रकार की क्रिया में कार्य को करने वाला कर्ता मुख्य होता है।
उदाहरण: “सीता ने किताब पढ़ी।”
इस प्रकार की क्रिया में कार्य पर ध्यान दिया जाता है, और कर्ता गौण होता है।
उदाहरण: “किताब सीता द्वारा पढ़ी गई।”
यह एक ही अर्थ वाली विभिन्न क्रियाओं का समूह है।
उदाहरण: “लिखना” और “रचना” समानार्थी क्रियाएँ हैं।
यह वह क्रिया है जो किसी विशेष परिस्थिति या संदर्भ में इस्तेमाल की जाती है।
उदाहरण: “वह हंस रहा है” का अर्थ परिस्थिति के अनुसार बदलता है।
यह दो या दो से अधिक क्रियाओं के संयोजन से बनती है।
उदाहरण: “देख लेना”, “खेल लेना”।
यह क्रियाएँ विशेषण के रूप में प्रयोग की जाती हैं, जैसे “सुंदर हंसना”।
ये मुख्य क्रिया के साथ मिलकर वाक्य को सही अर्थ प्रदान करती हैं।
उदाहरण: “वह जा रहा है”, “मैं हूँ” में “जा” और “हूँ” सहायक क्रियाएँ हैं।
बिंदु | सकर्मक क्रिया (Transitive Verb) | अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb) |
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परिभाषा | वह क्रिया, जिसका सीधा संबंध किसी कर्म से होता है। | वह क्रिया, जिसका कोई सीधा कर्म नहीं होता। |
उदाहरण | “राम ने खाना खाया।” (यहाँ “खाया” सकर्मक क्रिया है) | “वह दौड़ रहा है।” (यहाँ “दौड़ रहा है” अकर्मक है) |
कर्म का प्रयोग | हमेशा कर्म की आवश्यकता होती है। | कर्म की आवश्यकता नहीं होती। |
क्रिया की पहचान | प्रश्न “क्या?” या “किसे?” पूछने पर उत्तर मिलता है। | प्रश्न “क्या?” नहीं पूछा जा सकता। |
संयोग | मुख्य क्रिया के साथ एक निश्चित कर्म होना चाहिए। | क्रिया अपने आप में पूर्ण होती है। |
उदाहरण वाक्य | “सीता ने फूल तोड़े।” (यहाँ “तोड़े” सकर्मक है) | “बच्चा खेल रहा है।” (यहाँ “खेल रहा है” अकर्मक है) |
क्रिया का प्रभाव | क्रिया का प्रभाव किसी वस्तु या व्यक्ति पर पड़ता है। | क्रिया का प्रभाव स्वयं पर होता है। |
प्रयोग | आमतौर पर वाक्य में अधिक जानकारी जोड़ता है। | वाक्य का अर्थ सरल और स्पष्ट होता है। |
परिवर्तनशीलता | सकर्मक क्रिया को अकर्मक में बदला जा सकता है। | अकर्मक क्रिया को सकर्मक में नहीं बदला जा सकता। |
क्रिया का काल बताता है कि कार्य कब हो रहा है। यह वर्तमान काल, भूतकाल और भविष्यकाल में विभाजित होता है।
उदाहरण: “वह खेलता है” (वर्तमान), “वह खेला” (भूतकाल), “वह खेलेगा” (भविष्यकाल)।
वाच्य बताता है कि वाक्य में कर्ता और कर्म का क्या स्थान है। मुख्यतः दो प्रकार के वाच्य होते हैं: कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य।
उदाहरण: “सीता ने काम किया” (कर्तृवाच्य), “काम सीता द्वारा किया गया” (कर्मवाच्य)।
क्रिया का पुरुष यह दर्शाता है कि क्रिया का कर्ता कौन है: प्रथम पुरुष (मैं, हम), द्वितीय पुरुष (तू, तुम, आप) या तृतीय पुरुष (वह, वे)।
उदाहरण: “मैं पढ़ता हूँ” (प्रथम पुरुष), “तुम पढ़ते हो” (द्वितीय पुरुष), “वह पढ़ता है” (तृतीय पुरुष)।
क्रिया का संख्याओं में भेद यह दर्शाता है कि कर्ता एकल (एक) है या बहुवचन (कई)।
उदाहरण: “मैं खेलता हूँ” (एकल), “हम खेलते हैं” (बहुवचन)।
भाव क्रिया के भाव को व्यक्त करता है, जैसे किindicative (सूचनात्मक), imperative (आज्ञात्मक), subjunctive (संभाव्य)।
उदाहरण: “वह जा रहा है” (indicative), “जाओ!” (imperative)।
( Kriya Kise Kahate Hain )क्रिया की अवधि यह दर्शाती है कि कार्य का संपन्न होना या जारी रहना किस प्रकार है। मुख्यतः यह साधारण, निरंतर, या पूर्ण रूप में होता है।
उदाहरण: “वह खेलता है” (साधारण), “वह खेल रहा है” (निरंतर), “वह खेल चुका है” (पूर्ण)।
क्रिया मुख्यतः क्रिया के प्रकारों के आधार पर विभाजित होती है: मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया।
उदाहरण: “वह खेलता है” (मुख्य), “वह खेल रहा है” (सहायक)।
क्रिया का स्वरूप यह दर्शाता है कि क्रिया का प्रयोग किस रूप में किया गया है: सरल, अव्यक्त, या संयुक्त।
उदाहरण: “खेलना” (सरल), “खेलता हुआ” (अव्यक्त), “खेल लिया” (संयुक्त)।
अनुशासन यह दर्शाता है कि क्रिया नियमित है या अनियमित। नियमित क्रियाएँ नियमित रूप से रूपांतरित होती हैं, जबकि अनियमित क्रियाएँ भिन्न रूपों में बदलती हैं।
उदाहरण: “खेलना” (नियमित), “जाना” (अनियमित)।
क्रिया का संबंध यह दर्शाता है कि क्रिया किसी अन्य क्रिया या शब्द के साथ किस प्रकार जुड़ी है।
उदाहरण: “वह स्कूल गया” (क्रिया का संबंध), “वह जल्दी उठा” (क्रिया का संदर्भ)।
साधारण वर्तमान (Simple Present): यह क्रिया वर्तमान में होने वाले सामान्य कार्यों को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं रोज़ पढ़ता हूँ।”
निरंतर वर्तमान (Present Continuous): यह क्रिया वर्तमान में चल रहे कार्यों को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं पढ़ रहा हूँ।”
पूर्ण वर्तमान (Present Perfect): यह क्रिया किसी कार्य के वर्तमान में पूर्ण होने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैंने अपना होमवर्क कर लिया है।”
पूर्ण निरंतर वर्तमान (Present Perfect Continuous): यह क्रिया किसी कार्य के वर्तमान में जारी रहने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं तीन घंटे से पढ़ रहा हूँ।”
साधारण भूत (Simple Past): यह क्रिया किसी कार्य के भूतकाल में होने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैंने कल पढ़ा।”
निरंतर भूत (Past Continuous): यह क्रिया भूतकाल में किसी कार्य के जारी रहने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं पढ़ रहा था।”
पूर्ण भूत (Past Perfect): यह क्रिया किसी कार्य के भूतकाल में पूर्ण होने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैंने अपना होमवर्क कर लिया था।”
पूर्ण निरंतर भूत (Past Perfect Continuous): यह ( Kriya Kise Kahate Hain ) क्रिया भूतकाल में किसी कार्य के जारी रहने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं तीन घंटे से पढ़ रहा था।”
साधारण भविष्य (Simple Future): यह क्रिया भविष्य में होने वाले कार्यों को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं कल पढ़ूँगा।”
निरंतर भविष्य (Future Continuous): यह क्रिया भविष्य में किसी कार्य के जारी रहने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं कल पढ़ रहा होऊँगा।”
पूर्ण भविष्य (Future Perfect): यह क्रिया किसी कार्य के भविष्य में पूर्ण होने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैंने कल तक अपना होमवर्क कर लिया होगा।”
पूर्ण निरंतर भविष्य (Future Perfect Continuous): यह क्रिया भविष्य में किसी कार्य के जारी रहने को दर्शाती है।
उदाहरण: “मैं एक घंटे से पढ़ रहा होऊँगा।”
कर्तृवाच्य क्रिया (Active Voice):
कर्मवाच्य क्रिया (Passive Voice):
कर्तृवाच्य का साधारण रूप:
कर्मवाच्य का साधारण रूप:
कर्तृवाच्य का निरंतर रूप:
कर्मवाच्य का निरंतर रूप:
कर्तृवाच्य का पूर्ण रूप:
कर्मवाच्य का पूर्ण रूप:
कर्तृवाच्य का भविष्य रूप:
कर्मवाच्य का भविष्य रूप:
क्रिया का रूपांतरण:
साधारण रूपांतरण:
काल के अनुसार रूपांतरण:
वाच्य के अनुसार रूपांतरण:
धातु के अनुसार रूपांतरण:
विभिन्न रूपों का प्रयोग:
सहायक क्रिया का प्रयोग:
स्वरूप के अनुसार रूपांतरण:
विभिन्न लिंगों और संख्याओं का ध्यान:
भाव के अनुसार रूपांतरण:
क्रिया (Verb) | क्रियापद (Predicate) |
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1. परिभाषा: क्रिया वह शब्द है, जो किसी कार्य, अवस्था या घटना को व्यक्त करता है। | 1. परिभाषा: क्रियापद वाक्य का वह भाग है, जिसमें क्रिया और उसके साथ अन्य जानकारी (जैसे कर्ता) शामिल होती है। |
2. उदाहरण: “खेलना”, “पढ़ना”, “चलना”। | 2. उदाहरण: “राम स्कूल जाता है”, “सीता खाना बनाती है”। |
3. प्रकार: क्रिया विभिन्न प्रकारों में आती है, जैसे: कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य। | 3. संरचना: क्रियापद में क्रिया के अलावा अन्य तत्व भी होते हैं, जैसे कि कर्ता, कर्म, विशेषण आदि। |
4. संकेत: क्रिया केवल कार्य का संकेत देती है। | 4. विस्तार: क्रियापद कार्य का विस्तार करती है और वाक्य का अर्थ स्पष्ट करती है। |
5. सार्थकता: क्रिया का अस्तित्व वाक्य में अन्य तत्वों के बिना भी हो सकता है। | 5. अवश्यकता: क्रियापद का होना वाक्य की पूर्णता के लिए आवश्यक होता है। |
6. विभक्ति: क्रिया विभिन्न कालों, वाच्यों, और स्वरूपों में परिवर्तित होती है। | 6. विभक्ति: क्रियापद में क्रिया के अलावा संज्ञा या सर्वनाम का रूप और अन्य तत्व भी हो सकते हैं। |
7. उपयोग: क्रिया का उपयोग वाक्य में कार्य बताने के लिए होता है। | 7. उपयोग: क्रियापद का उपयोग वाक्य में कार्य के साथ-साथ कार्य के संदर्भ को स्पष्ट करने के लिए होता है। |
8. संख्याएँ: क्रिया की संख्याएँ (एकवचन, बहुवचन) अलग-अलग हो सकती हैं। | 8. संख्याएँ: क्रियापद की संख्याएँ भी क्रिया के अनुसार बदलती हैं। |
9. कृत्य: क्रिया मुख्य रूप से कार्य या क्रिया का संकेत देती है। | 9. कृत्य: क्रियापद वाक्य में क्रिया और उसके संबंधों को जोड़ती है। |
10. रूप: क्रिया के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे साधारण, निरंतर, और पूर्ण। | 10. रूप: क्रियापद का रूप वाक्य के संदर्भ में होता है और इसमें कई क्रियाएँ हो सकती हैं। |
सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के साथ मिलकर वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करती हैं। इनका सही प्रयोग भाषा की संप्रेषणीयता और व्याकरणिकता को बढ़ाता है।
क्रिया वह शब्द है जो किसी कार्य, अवस्था, या घटना को दर्शाता है।
सहायक क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं जो मुख्य क्रिया के साथ मिलकर वाक्य का अर्थ स्पष्ट करती हैं।
“था”, “थी”, “थे” का प्रयोग भूतकाल के लिए किया जाता है।
“है”, “हैं”, “होता है”, “होती है” वर्तमानकाल के लिए सहायक क्रियाएँ हैं।
“गा”, “गी”, “गे” का प्रयोग भविष्यकाल में किया जाता है।