(Article 360 in Hindi)भारतीय संविधान में आपातकाल की व्यवस्था अनुच्छेद 352 से 360 तक दी गई है। आपातकाल का प्रावधान उस समय के लिए किया गया है जब देश की अखंडता, सुरक्षा या अन्य महत्वपूर्ण स्थितियों को खतरा हो। आपातकालीन स्थिति में केंद्र सरकार को असाधारण शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं, जिससे सामान्य नागरिक अधिकारों और संवैधानिक ढांचे में परिवर्तन किया जा सकता है। आपातकाल तीन प्रकार का होता है:
राष्ट्रीय आपातकाल तब लागू होता है जब राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट होते हैं कि भारत या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण, युद्ध, या आंतरिक विद्रोह से गंभीर खतरा है। इस आपातकाल को लागू करने के लिए:
Article 360 in Hindi के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है। जब राष्ट्रपति को यह महसूस होता है कि भारत की वित्तीय स्थिरता या ऋण सेवा के लिए गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है, तो वे अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
राष्ट्रपति द्वारा आर्थिक आपातकाल की घोषणा के बाद, इसे संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की स्वीकृति प्राप्त करनी होती है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
आपातकाल की घोषणा के बाद, निम्नलिखित प्रभाव उत्पन्न होते हैं:
अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपातकाल लागू होने पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं:
आर्थिक आपातकाल के दौरान, मौलिक अधिकारों पर प्रत्यक्ष प्रभाव कम होता है, क्योंकि यह विशेष रूप से वित्तीय संकट से संबंधित होता है। हालांकि, इस प्रकार के आपातकाल की कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
आर्थिक आपातकाल के दौरान संसद की शक्तियों में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है:
अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा और उसकी कार्यविधि को लेकर न्यायपालिका की भूमिका सीमित होती है, क्योंकि यह विशेष रूप से वित्तीय संकट से संबंधित होता है और संविधान के तहत केंद्र सरकार को महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है। हालांकि, न्यायपालिका निम्नलिखित पहलुओं पर अपनी भूमिका निभा सकती है:
अनुच्छेद 360 के तहत न्यायिक निर्णय और न्यायपालिका की भूमिका निम्नलिखित बिंदुओं से संबंधित होती है:
आपातकाल की स्थिति, विशेषकर राष्ट्रीय आपातकाल और आर्थिक आपातकाल, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से संवेदनशील होती है। विपक्ष और राजनीतिक दलों की भूमिका इस संदर्भ में महत्वपूर्ण होती है:
आपातकाल के दौरान और इसके लागू होने के बाद विभिन्न राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न होती हैं:
अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की स्थिति में, सरकार कराधान और वित्तीय प्रबंधन से संबंधित कई कदम उठा सकती है:
आर्थिक आपातकाल के दौरान, वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाते हैं:
अनुच्छेद 360 भारतीय संविधान का एक प्रावधान है जो आर्थिक आपातकाल की घोषणा करने की प्रक्रिया और शर्तों को निर्दिष्ट करता है। इसे तब लागू किया जाता है जब देश की वित्तीय स्थिति गंभीर संकट में होती है।
आर्थिक आपातकाल तब लागू किया जाता है जब राष्ट्रपति को लगता है कि भारत की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई है कि सरकारी ऋण और वित्तीय प्रबंधन को बनाए रखना कठिन हो गया है। इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल की सलाह की आवश्यकता होती है।
राष्ट्रपति द्वारा घोषित आर्थिक आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार को विशेष वित्तीय अधिकार मिलते हैं। इसमें राज्य सरकारों के वित्तीय मामलों पर नियंत्रण, सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती, और बजट में संशोधन शामिल हो सकते हैं।
आर्थिक आपातकाल की घोषणा के बाद, इसे संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। यदि संसद इसे स्वीकृत कर देती है, तो आपातकाल 6 महीने तक लागू रह सकता है और इसे पुनः स्वीकृत किया जा सकता है।
आर्थिक आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों पर प्रत्यक्ष प्रभाव कम होता है। हालांकि, वित्तीय उपायों जैसे वेतन कटौती और बजट में बदलाव से नागरिकों के जीवन पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।